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प्रेम में पड़ी स्त्री,
भूल जाती है ख़ुद को....
भूल जाती है ख़ुद की पहचान को,
भूल जाती है चूल्हे पर रखी रोटी को,
प्रेम में पड़ी स्त्री,
भूल जाती है...
ख़ुद से प्यार करना,
भूल जाती है,
ख़ुदा से डरना,
प्रेम में पड़ी स्त्री,
अक्सर याद रखती है,
उस पुरुष को,
जिसके,
प्रेम में पड़ी है,
वह स्त्री....!
✍️ गौरव शुक्ला'अतुल'©
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