Jahaji sandesh
03 May, 2021
डायरी
मैं हर पन्नें को मोड़ता हूँ,
मैं हर पन्नें में तेरे नाम को संजोता हूँ,
मैं क़भी भटक जाता हूँ,
तुम्हारी यादों की डायरी में,
तो,
मैं फिर उसी पन्नें को खोलता हूँ,
मैं लिखे तुम्हारे नाम को उसी उंगलियों से फिर टटोलता हूँ,
और कह जाता हूँ ,
बिना कुछ कहे....
सब कुछ....
Paperwiff
by jahajisandesh
03 May, 2021
#डायरी
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