समर्पण
समर्पण सीखना है तो, धरा से तुम जरा सीखो
ये सब सहती, ना कुछ कहती,सब निसार करती है
यही सच में समर्पण है।
समर्पण सीखना है तो, मां से तुम जरा सीखो
ये अपनी नींद, अपना चैन, सब कुछ वार देती है
यही सच में समर्पण है।
समर्पण सीखना है तो, पिता से तुम जरा सीखो
बताता ना, जताता ना, खुशी हर बार देता है
यही सच में समर्पण है।
समर्पण सीखना है तो, गुरु से तुम जरा सीखो
ये अपना ज्ञान,अपना मान और सम्मान देता है
यही सच में समर्पण है।
समर्पण सीखना है तो, तुम आकाश से सीखो
खुला सबके लिए, सबकी ही बाहें थाम लेता है
यही सच में समर्पण है।
समर्पण नाम जीवन का,सदा औरों की जो सोचे
जोअपनी चाहतें, शिकवे शिकायत त्याग देता है
यही सच में समर्पण है।
समर्पण कृष्ण राधा सा,ये दुनिया जानती सारी
जो अपनी प्रीत,अपना मीत, जग पे वार देता है
यही सच में समर्पण है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.