Ichchha Jain
Ichchha Jain 03 Jul, 2022
जान हथेली पर ले लिया
बरसो बाद जब देखा मैन वो वही पेड़ था , जिसमे हम बच्चो का बचपना छिपा था। जाकर बैठ गई मैं उस डाली पर , जहा झूला लगाया करते थे हम। कितना आनंद आरहा हो जैसे , कोई दुख,दर्द,न चिंता सताये मुझे। वो गांव का पेड़ जैसे अब शहरो में न दिखता, आज कल की मॉडर्न ज़िन्दगी में पेड़ पानी के भाव मे बिकता। वो पेड़ जिसने हमे सब कुछ दिया , अपने बचपन का साथी जैसे वो बन गया, वो आज जैसे संकट में आ गया। वो आज जैसे संकट में आ गया।।

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by ichchhajain2

03 Jul, 2022

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