"फिर आएंगे"

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hindi hindustan ki
hindi hindustan ki 01 Jan, 1970 | 1 min read

 

 

कह चले हैं अलविदा उन शहरों को

जिनमें हम कमाने खाने आए थे,

महामारी में बचे रहे तो फिर आएंगे l

 

मजदूर हूँ, हुनर हाथों में और दिलों में सपने लिए आएंगे

इंतजार था बंद खुलने का,

अपनों से मिलने का,

चिंता मत करो साहब!

महामारी बीत जाने दो,

जिंदा रहे तो फिर आएंगे l

कह चले अलविदा उन शहरों को,

जिनमें हम कमाने खाने आए थे l

 

अब तो रेल की रफ़्तार कम सी लगती है ,

यादों की रफ़्तार के आगे

चैन तो तभी मिलेगा ,

जब अपनों से मिल जाएंगे l

कह चले हैं अलविदा उन शहरों को,

जिनमें हम कमाने खाने आए थे l

 

माइग्रेट है साहब!

यहां सब मतलब से बात करते हैं l

प्यार और किसी की देखभाल कहां पाएंगे,

ऐसे में तो सिर्फ अपने ही हैं

जो गले लगाएंगे l

के चले हैं अलविदा उन शहरों को,

जिनमें हम कमाने खाने आए थे l

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