पिता का प्रेम

एक पिता के प्रेम की अजब ये दास्ताँ है,

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Hem Lata Srivastava
Hem Lata Srivastava 17 Jun, 2022 | 1 min read

 एक पिता के प्रेम की अजब ये दास्ताँ है,

ऑखों में झलकता नहीं पर दिल में प्यार अपार है, 

कभी ऊँगली पकड़ चलना सिखाया कभी काँधे पर बिठाया ,

संस्कारों और अनुशासन का हर पल पाठ पढाया, 

जीवन के हर पथ पर साथ रह हौसला बढाया, 

जिंदगी की डोर को थाम आगे बढना सिखाया,

ऑखों में ऑंसू आने से पहले एक महकता रूमाल आगे बढाया, 

डरना नहीं, थमना नहीं हर पल ये ही पाठ पढाया, 

पुत्र/पुत्री के कल को संवारने के वास्ते खुद को कभी जिसने न शिथिल किया, 

कभी आसमान तो कभी धरा पिता है,

कभी अभिमान पिता है, पुत्र हो या पुत्री का स्वाभिमान पिता है, 

एक उम्मीद इक आस पिता है 

मेरे लिए तो बस एक संपूर्ण संसार पिता है। 


Hem lata srivastava 


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