कल फेसबुक पर मेरे भाई ने अपडेट डाला मैं रात के 2:00 बजे से सारे अस्पतालों के चक्कर लगाकर देख चुका कहीं भी ऑक्सीजन नहीं मेरे भाई की इलाज के लिए कोई भी मदद को तैयार नहीं हो रहा है इसको देखते ही मैं बहुत परेशान हुई तुरंत फोन लगाया तो मालूम चला कि अभी वह ठीक है पहले से बेहतर है उनके घर में ऑक्सीजन सिलेंडर है और मेडिकल की सभी सुविधाएं उससे पहले से ही जुटा कर रखी हुई थी पर ऑक्सीजन कम होने के कारण उसको कहीं से मिल नहीं पा रही थी यह सिर्फ मेरे परिवार के ही साथ नहीं आज हर ओर त्राहि-त्राहि मची है ईश्वर ने हमें सांस लेने के लिए हवा में इतनी ऑक्सीजन दी है कि हम ताउम्र प्राकर्तिक संसाधनों का अहसान चुका नहीं सकते, कितने ही पेड़ है जिसमें से पीपल बरगद और नियम सबसे अधिक ऑक्सीजन देने वाले पेड़ है पीपल तो 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं पर हम मनुष्य अपने स्वार्थ के वशीभूत हर तरफ पेड़ों को ऐसे काट रहे हैं कि जीवन में इनकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
मुझे याद है मेरे शहर में एक साथ 5000 पेड़ काट दिए गए जो कि बहुत बड़े-बड़े थे और जिनको इतना बड़ा होने में कम से कम 20- 25 साल तो लगे ही होंगे जब जनता ने शोर मचाया तो नगरपालिका वाले बोलते हैं कि हम और वृक्षारोपण करेंगे उनसे कोई यह पूछे वह किसके लिए करेंगे जो अभी हैं वह क्या सांस लेंगे ? पेड़ लगाते ही बडे हो जायेंगे क्य?
वृक्षारोपण के बाद कोई कोई पेड़ तो हरा भरा नहीं रह जाता है आरजू जीवित रह भी जाते हैं उन्हें बढ़ने में फिर भी 20-25 साल लगेंगे बाबूजी कहते थे हर चीज अपना बदला लेती है पानी ज्यादा फेकोगे तो पानी कम पड़ जाएगा खाना फेंकोगे तो 1 दिन खाना कम पड़ जाएगा ।
आज मुझे अपनी एक दूर की भतीजी की याद आ रही है
जिसके हृदय में छेद था और जहां पर लोग रहते थे वहां किसी बड़े अस्पताल की व्यवस्था नहीं थी तो वह हमारे शहर में इलाज के लिए हर महीने आती थी और हमारे ही घर रहते थे वो लोग उसको हमारे घर की सीढ़ियां चढ़ने में बहुत तकलीफ होती थी पर वह इतना जिंदादिल थी उसे पता था कि मेरी मृत्यु निश्चित है उसके बावजूद वह हमेशा हंसती रहती थी।
एक बार वह इसी तरह अपने इलाज के लिए आई थी पर हमारी छत पर जगह जगह 2-3 पीपल के पेड़ जम आए थे हम अक्सर देखते हैं कि जहां पानी भी नहीं पड़ता है पीपल का पेड़ वहां भी जम जाता है, वह उन पेड़ों को संभाल संभाल कर निकाल रही थी हमने पूछा चिंकी यह तुम क्या कर रही हो जानती हो न पीपल का पेड़ नहीं छूते हैं !कौन कहता है बुआ? ऐसा कुछ नहीं है यह पेड़ दीवारों में बड़े होंगे तो दरार बना देंगे इसलिए मैं इनको यहां से उठाकर पार्क में लगा दूंगी और आज नहीं तो कल बड़े होकर या आपके आसपास की हवा को स्वच्छ बनाएंगे साथ ही अक्सीजन भी देंगे।
आज मैं जब भी उन पीपल के पेड़ों को देखती हूं मुझे चिंकी की बहुत याद आती है।
मुझे बहुत खुशी हुई उसकी बात सुनकर इंसान अगर इसी तरह सोचे और अपने आसपास पेड़ पौधे रोपे तो हवा में हवा में स्वच्छता बढे और प्रदूषण कम हो ।
ऑक्सीजन ना केवल हमारे लिए अपितु पेड़ पौधों के लिए जीव जंतु के लिए अति आवश्यक है हवा में ऑक्सीजन ही ना हो तो जीवन कहां से आएग।
गांव में इसीलिए लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं ।
माना कि पेड़ों को काटना जरूरी है तो उसने ही काटी है ना जितनी जरूरत है काश मेरी चिंकी की तरह सोचने वाले लाखों बन जाए। भगवान इस बुरे वक्त को इस महामारी खो जल्द से जल्द खत्म कर दे।
हेमलता श्रीवास्तव
30 अप्रैल 2021
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
कड़वी हकीकत
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