Hem Lata Srivastava
25 Oct, 2021
मै
उम्र अल्हड़ चहकती रहती थी,घर से निकली ही थी, जल्दी-जल्द बढ रही थी, छोटे हाथ मुझे इक कागज का टुकड़ा थमा गया था
इक पल के लिए दिल धडका, हाथों के पसीने को पोंछ बढ गई थी,हाथ इम्तिहान में व्यस्त थे पर दिल उस टुकड़े में था,,रात नींद कोसों दूर थी अल्फाज़ पढूं कैसे,ऊहापोह में कब नींद आ गई पता न चला, मुट्ठी में दबे टुकड़े की सरसराहट से नींद जो खुली, धडकते दिल से अल्फाज़ों को पढ़े जा रही थी, उसने मिलने का मुझसे मनुहार उसने किया था, वो पहली झलक, याद आज भी है
Paperwiff
by hemlatasrivastava
25 Oct, 2021
पहली झलक
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