ओस
#ओस की बूंदें
सिमटी सी एहसासों में
आँखों में नमी की बूंदें
रात के स्याह अंधेरों में
पत्तों पर ओस की बूंदें
रश्मि किरणों से हो गुम
कहाँ जाती दिन में छुप
लालिमा से सजे नैनों की
कहानी काली रैना की
मोती सी वो ओस की बूंदें
धरा पर हो अवितरित
खो देती अपना अस्तित्व
न जान सकें कोई उनकी
सच्चाई और आप बीती।
हरप्रीत कौर
Paperwiff
by harpreetkaur