आज दुनिया में गूगल के बिना कुछ भी करने की नहीं सोच सकते ।हम गूगल पर इतना अधिक आश्रित हो गए हैं कि हर छोटे से बड़ा काम करने के लिए फौरन गूगल की मदद लेनी पड़ती है
प्रस्तुत है मेरी एक हास्य व्यंग्य रचना
गुरु पूर्णिमा पर बोले गूगल
इंटरनेट गूगल गुरु ने सबको पाठ पढ़ाया,
मैं ही मैं हूँ हर ओर बाकी सब मोह माया।
जो भी तुममें ज्ञान बसा है सब यहाँ बरसा लो,
दुनिया भर का आत्मज्ञान बस तुम मुझमें से पा लो।
टिक- टोक बाबा बहरुपिए निकले उसका मोह हटा लो तुम,
हर जगह सर्वथा मैं ही मैं हूं अब इतना ज्ञान बसा लो तुम।
क्या नहीं मुझसे पाया बच्चा मेरे पटल पर सब समाया
हँसना चाहो हँस लो तुम रोना चाहो रो लो तुम,
क्या चाहिए तुमको बाबू जी खोज करा दूं,
घर बैठे ही परिवार संग पूरे अंतरिक्ष में घुमा दूं,
मम्मी जब-जब मेकअप में उलझी,
डाउनलोड कर हाथ में तुम नन्हे-मुन्नों को टैब थमा दो।
ऑफिस का कर रहे अगर काम कितनी ही वेबसाइट के दर्शन करा दूँ।
हर जगह सर्वथा मैं ही मैं हूं ऐसा ज्ञान तुमको करा दूं।
अब गुरु भी गुरु ज्ञान मुझसे ही पाते है,
पढ़ते है मुझसे और बच्चो को मेरी दुनिया दिखाते है,
आलस में है डूबे सब मुझ पर ही आश्रित है,
फिर गुरु पूर्णिमा मेरी करो यह औरों पर क्यों आश्रित है।
इंटरनेट गूगल गुरु ने सबको पाठ पढ़ाया,
मैं ही मैं हूं हर ओर बाकी सब मोह माया।
एकता कोचर रेलन
डिस्क्लेमर-
यह रचना बस हास्य के उद्देश्य से लिखी गई है इसमें किसी का अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं है।🙏🙏
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahot majedar but sachi baat.
Very funny 😂
Thanku pragati dear
Thanku Divya modh
बिल्कुल सही बात.. Google ग्यान का भंडार है आखिर
बहुत सुंदर रचना
शुक्रिया सुषमा 🌹
उदित जैन जी शुक्रिया आपका 🌺
वाह मजेदार रचना
शुक्रिया बबीता जी
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