मेरे वीर
सलमात रहे मेरे वीर,
जुग-जुग जिएं मेरे वीर ।
इन पर मैं वारी जाऊं,
ये सुखी तो मुझे सुकून।
निश्छल इनका प्यार है,
सर आंखों पर बिठाते हैं।
खूब लाड़ लड़ाते हैं ,
देख कर मुझको खुश-
ये खुश हो जाते हैं ।
तकलीफ़ में ये,
कभी बरगद बन जाते हैं।
कभी मोम सा पिघल जाते हैं।
बचपन की वो प्यारी यादें,
कभी झगड़ते कभी समझते।
कभी न करते थे बात,
जीने के थे अलग अंदाज ।
पर ये मेरी खुशियों का राज़,
सुख-दुख में साथ खड़े हैं।
अटूट बंधन में बंधे है,
बहना की है यही दुआएं।
सलामत रहे मेरे वीर,
जुग-जुग जिए मेरे वीर।
एकता कोचर रेलन
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