बाबा

कुछ नाराज़ हुए मेरे बाबा

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 17 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

कुछ नाराज़ हुए मेरे बाबा

आखों में पानी ले आए मेरे बाबा

छोटी थी मैं कल भी, 

 आज भी छोटी हूं बाबा

तेरे नाप तोल को न कल समझ पायी,

न आज समझूगी बाबा

तू उड़ेल दे मुझ पर पूरा जहां

फिर भी तुझे कम लगेगा बाबा

विदा तो तूने कर दिया

पर मन से न कभी अलग हूं बाबा

हिसाब किताब सब तुझसे ही जाना

तू ही मेरी पूरी दुनिया बाबा

तेरे आशीर्वाद से ज्यादा न कुछ चाहूँ

तुम्हीं जमीं तुम्हीं आसमां बाबा

जीवन में हर रंग को तुमने बताया

पर तेरे बिना हर रंग फीका लगे बाबा

एकता कोचर रेलन

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Ektakocharrelan

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