देर आए दुरुस्त आए

देर आए दुरुस्त आए

Originally published in hi
Reactions 1
604
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 09 Nov, 2020 | 1 min read
Understanding Family Punctuality Self-love Relationship

देर आए दुरुस्त आए


शादी के समय दुबली-पतली सुंदर थी मीता । धीरे -धीरे उसे पता ही ना चला कब समय की गहरी परते गुजर गई और मीता के वजन पर चढ़ती गयी। परिवार के सुख की चाह में कब खुद को भूल गयी मीता । यहां तक कि अपनी नौकरी भी दुबारा शुरू नही कर पायी।

बस उसे हरदम यही ध्यान रहता कि पति के लिए आज क्या स्पेशल बनाया जाये कि उसे यानि आकाश को अच्छा लगे।

बस इसी तरह दिन बीतते चले गए।

मीता को पहले खट्टा पसंद था और आकाश को मीठा। मीता को गाने सुनना पसंद था और आकाश को डिस्कवरी चैनल और न्यूज़ देखना पर अब तो मीता का स्वाद भी अपने पति आकाश की तरह हो गया था। और रिमोट कंट्रोल कब उसके हाथों से छूट गया पता ही ना चला।

    हर चीज को सहेज कर रखने वाले अपने पति आकाश की आदतों को बिगाड़़ दिया धीरे -धीरे मीता ने अपने प्यार की छांव में ।

पहले हर चीज हर जगह पर पड़ी मिल जाती थी।

पर आजकल तो आकाश सुबह ऑफिस जाता।

 गीला टॉवल बेड पर !शूज पहनकर चप्पल को वहीं छोड़ देना!खाना खाकर झूठे बर्तन वही टेबल पर ही रहने देना! दिनोंदिन आकाश को मीता की आदत पड़ती गई और उसकी आदतें बिगड़ती गई।


अब समय आया मीता की जिंदगी में नन्हें शिशु का आगमन हुआ। मीता को आकाश की जरूरत थी और आकाश को छोटे-छोटे काम की आदत छूट गयी थी।

नौकरी के चक्कर में वे घर से दूर आ गये थे इसलिए बड़ों की छत भी नहीं थी। 

मीता काम करती ,बच्चें का ध्यान रखती और स्तनपान करवाने की वजह से भूख भी ज्यादा लगती।मीता की जिंदगी में प्राणायाम और बाहर घूमना भी खत्म हो गया था। 

आकाश को तो मीता ने खुद बच्चा बना दिया था। बच्चे की वजह से मीता अब उतना ध्यान आकाश पर नहीं दे पा रही थी। 

आकाश अक्सर अपनी छोटी- छोटी चीजों के लिए मीता पर झुंझलाता।अब मीता को अपनी गलती का एहसास होने लगा कि उसने कुछ ज्यादा ही आकाश की जिम्मेवारियों को अपने ऊपर ओढ़ लिया।

साधारण सी दिखने वाली मीता कब असाधारण सी बेडौल दिखने लगी पता ही ना चला अब उसका वजन जरूरत से ज्यादा हो चुका था। 

आकाश का भी ध्यान मीता से हटने लगा था। उसे अपने आफिस में कायरा का फुर्तीलापन बहुत पसंद था।वो अक्सर उससे प्रभावित रहता कि कैसे कायरा हर काम को चुटकी में कर लेती है

 मीता के सन्मुख आकाश अक्सर कायरा की तारीफ करता। 


आकाश- "मीता तुम घर का काम भी ठीक से नहीं कर पाती और वहां कायरा को देखो घर और आफिस सब मिनटों में हर काम कर लेती है और तुम"...


मीता- "अच्छा अब आकाश तुम वो समय भूल गये जब

तुम्हारे मौजें तक अलमारी से मैं ही निकाल तक देती थी और अब तुम्हें"....


बढ़ते झगड़े देख धीरे-धीरे मीता को समझ आने लगा कि जल्दी ही उसे अपने और अपने परिवार पर ध्यान देना होगा नहीं तो ..

मीता अभी ख्यालों में गुम ही थी कि मम्मी का फोन बजा।


मीता - "मम्मी आकाश के झगड़े रोज़ बढ़ते ही जा रहे हैं

और मीता ने रोते हुये सारी बात माँ को बतायी"।


मम्मी- "मीता सुनो! अक्सर हम फोन पर पहले भी समझाते थे कि अपनी सेहत का ध्यान रखो ।अगर तुम अपना ध्यान नहीं रखोगे तो एक दिन ऐसा आएगा कि तुम अपना काम ठीक से नहीं कर पाओगी और यह बढ़ता वजन तुम्हें सौ बीमारियों से घेर लेगा तब कोई भी तुम्हारा ध्यान रखने वाला ना होगा। तुम्हें अपने जीवन में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा"।


माँ की बात मीता के कानों में आज रह- रह गूंज रही थी। मीता ने अब दृढ़ निश्चय कर लिया था कि अब अपना वजन और नहीं बढ़नी दूँगी ।खुद के सपनों मे भी उड़ान भरूँगी।


कुछ देर में मीता को अचानक डोर बेल की आवाज सुनाई दी -----दरवाजे पर कोई आकाश को पुकार रहा था ।बात करने पर पता चला वह कोई और नहीं कायरा ही थी।


मीता ने आकाश को पुकारा- "आकाश ! आकाश!


आकाश-क्या हुआ मीता??


मीता कुछ कहती उससे पहले ही कायरा को देख स्तब्ध रह गया आकाश।

आकाश-कायरा तुम यहां??आओ बैठो!बैठो!

कायरा- आकाश मेरे पति को मुझसे अक्सर शिकायत रहती है कि मैं उसके काम में कोई मदद नहीं करती जब कि मेरे घर पूरे दिन के लिए दो मेड है उपर से घर पे सास और ननद भी है जब घर में इतने लोग काम कर रहे हैं उन सब में अगर मैंने पति को खाना परोसा या नहीं तुम्हीं कहो ?? क्या उससे कुछ फर्क पड़ता है क्या ???

मीता और आकाश एक दूसरे को देखने लगे मानो!!...

"एक दूसरे को कह रहे हो कि पति -पत्नी का रिश्ता तो सबसे अहम है अगर साथ न मिले तो जिंदगी अधूरी लगती है"

और ये कायरा मैडम क्या सवाल पूछ रही है????

आकाश कायरा से- कायरा तुम बैठो और ध्यान से सुनो पति पत्नी सुख-दुख के साथी है और जीवन में थोड़ी बहुत उलझनें तो आती रहती है पर हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए। और हाँ अगर हमारे घर कितने भी नौकर हो पर जो मज़ा बीवी के हाथ से परोसें खाने में है वो और कहां !! परिवार में सब के साथ बैठ कर खाना मतलब सभी दुःख-सुख को

सांझा करना होता है।

कायरा आकाश से- आकाश मैं समझ गयी अब मैं जल्दी से

घर जाना चाहती हूँ।

आकाश मीता से- मीता क्या तुम मुझे माफ़ कर पाओगी मैं

भी सब समझ गया कि मैं कितना गलत था।

मीता और आकाश ने एक दूसरे को बांहों में भर लिया।


अब मीता ने आकाश के साथ मिलकर अपनी जिम्मेदारियों को बाँट दिया । धीरे-धीरे अब दोनों कुछ समय अब अपने लिए भी बचाने लगे थे।


दोनों ने सुंदर जीवन जीने का गुर जो सीख लिया था ।


दोस्तों इस कहानी को लिखने का उद्देश्य इतना ही था कि हम में से ही कुछ सखियां ऐसी है जो अपने परिवार में दिन-रात खुद को इतना लीन कर देती हैं कि खुद के लिए समय ही नहीं निकाल पाती। हम सब बहने खुद को स्वस्थ रखेंगी तभी परिवार को स्वस्थ रख पायेगी। आप को अपनी दिनचर्या के अनुसार काम को अपने व अपने परिवार में बांट देना चाहिए जिससे न केवल आप अपना ध्यान रख पायेगी बल्कि एक सुखद परिवार का निर्माण कर पायेगी।

दो अपने सपनों को भी उड़ान,

 लाओ खुद के चेहरों पर भी मुस्कान।

 बहुत ख्याल रखती हो अपने आशियाने का,

 खुद को भी दो खुशियां वक्त निकालो मुस्काने का।

एकता कोचर रेलन



1 likes

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sonnu Lamba · 4 years ago last edited 4 years ago

    Well penned

  • Ektakocharrelan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thanku dear🌺

Please Login or Create a free account to comment.