कहीं सूखा- कहीं बाढ़

ऐ मनुज देख सुन ना तू !सब्र कर तू!

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 12 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

कहीं सूखा- कहीं बाढ़

ऐ मनुज देख सुन ना तू !सब्र कर तू!

किंचित ठहर जरा संभल ना तू !

जीवन कठपुतली बना मत खेल तू,

ईश ने फूंके तुझ में प्राण सुन!

इतना  इस कदर मत मचल तू।

 #कहीं सूखा!कहीं बाढ़!

अब तो सुधर तू!!

देख कर ईश का रौद्र रूप ,

हां क्या कहा- अभी भी चिंतित नहीं तू?

खुद से ही अब प्रश्न कर तू कि -

प्रकृति पर छाया कहर आँखें खोल तू, 

कोई पानी को तरसे,कोई पानी में बहे-

देख मनुज !अब तो संभल तू,

 अपनी सफलता का ना गुमान कर तू।

 खुद से ही अब प्रश्न कर तू, 

#कहीं सूखा!कहीं बाढ़!

अब तो सुधर तू!!

एकता कोचर रेलन

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