एक किन्नर भी कर सकता है
मां -बाप की सेवा है उसको भी
जीने का अधिकार!!
सम भाव हर मन में लाये!!
सब के लिए प्रकृति ने नहीं रखा फर्क
तो हम क्यों मन में लाये??
जीने का अधिकार सभी को
अपशब्द बोल क्यूं मखौल उड़ाये!!
यूं तो बातें करते हम बड़ी-बड़ी
भेद फिर क्यूं मन में रख जाये
मंगलमुखी कहकर भी
मन से द्वेष ना मिटा पाये।
दिल वही है!
है इनमें भी उड़ने की चाहत!!
दुर्व्यवहार होने पर होता
हाँ!इनका भी मन आहत!!
बदल रहा समाज!!
बदल रही देखो!थोड़ी तस्वीर!
निसंदेह --
हम सब की बेहतर सोच से
बदलेगी इनकी तकदीर!
पायेंगे ये भी वही सम्मान
ना करेंगे अगर हम भेदभाव।
आओ समानता का भाव रख
संकीर्ण लोगों का ही करें बस
केवल समाज से बहिष्कार!
माँ-बाबा का प्यार ये भी चाहे
चलो मिलकर ये उम्मीद जगाये
हाँ बिल्कुल!!
एक किन्नर भी कर सकता है
मां -बाप की सेवा
है उसको भी जीने का अधिकार!!
सम भाव हर मन में लाये!!
एकता कोचर रेलन
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