सरहद से घर लौटे सनम

सरहद से घर लौटे सनम (ग़ज़ल ) ख़बर सुनकर ही खुशी से झूम उठी मैं, दौड़ते जाकर बाहों में सिमट गयी मैं।

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 08 Jul, 2020 | 1 min read

सरहद से घर लौटे सनम


ख़बर सुनकर ही खुशी से झूम उठी मैं,

दौड़कर जा बाहों में सिमट गयी मैं।


नेह उसका भी मुझसे कुछ कम न था,

उसकी धड़कन बनकर मुस्कुरा रही मैं।


सोलह शृंगार किया प्रियतम के लिए ,

 दीदार कर यूँहीं निखर- निखर गयी मैं।


घुँघरू की झंकार मौन थी जानें कबसे,

शंखनाद सुन विजय का फिर खिल गई मैं।


चाहत में उसकी किया जो सजदा मैंने,

खुद ही को भूल ज्यूं उससे लिपट गयी मैं।


हिफाज़त कर देश की घर लौटी मोहब्बत,

 "एकता" तिलक कर सनम का गर्वित हुयी मैं।


एकता कोचर रेलन

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