मुझे मायके भेजने की सोच रहे तुम पिया
पर पछताओगे जब रहना होगा अकेले मिया
बात -बात में जो थाप लगाते हो इधर आओ
दो दिन में अस्थि पंजर ढीले होंगे याद करेगा जिया
तौलिया बिस्तर पर ही नज़र आयेगा तुम्हारा
मौजें ढूंढ -ढूंढ कर थकोगे पछताओगे यारा
अखबार संग नाश्ता भी कैसे तुम कर पाओगे
फिर सोचोगे भेज दिया अब तो ना बोलूं दुबारा
कितनी ही संखिया मैंने भी तो छोड़ दी जान लो तुम!
मेरे बिना हर पल रोओगे हो सके तो ये मान लो तुम!
बहुत दिखाते दी दादागिरी अपनी तुमने ससुराल में
हम भी हैं तैयार इक पन्ने पर नाम लिख दे दो तुम!!
एकता कोचर रेलन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
Thanku dear
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