पंखों को अपनी नई उड़ान दे जाएंगे,
हम वो परिंदे हैं आसमां में घर बनाएंगे।
दिल की बातें दिल में ना रख पाएंगे,
देखना इक दिन सपने सच कर दिखाएंगे।
ऊंच-नीच को हम ना समझे अपनी यारी सच्ची है, कुछ -तुम समझो! कुछ हम समझे! अपनी दोस्ती पक्की है।
बिखेर रही कुदरत खुशबू अपनी हर ओर हवाओं में,
बिना रंग भेद मिलकर एक दूजे का उत्साह बढ़ाएंगे।
भर लो तुम हौसले मन में कदम से कदम मिलाएगें,
इन नन्हीं अंखियों में खुशियों के मोती भरते जाएंगे।
नादान है जो निराश हुए राह में हम ऐसा ना कर पाएंगे,
अपूर्ण हुए तो क्या हुआ हम लाचार नहीं कहलाएंगे।
एकता कोचर रेलन
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