मेरी प्यारी माँ
माँ कैसी हो तुम ।जीवन में हर कदम पर हर क्षण साथ रहती हो तुम माँ। मैं यहां हर पल तुम सा बनने की कोशिश करती हूँ।पर कितना भी करूं माँ तुम सा सामर्थ्य तुम सी हिम्मत तुम सी तारतम्यता नहीं ला पाती । तुम जीवन में सब कैसे कर लेती हो माँ।
बचपन से आज तक हर काम को तुम्हें चुटकी में करते पाया ।हर समस्या का हल तुम कैसे चुटकी में खोज लेती हो माँ।
आज याद कर रही हूँ बचपन के उन पलों को जब तुम मेरे दो मिनट भी देरी से आने पर दरवाजे पर राह तकती थी ।
माँ बनकर ही तेरे उस प्यार को करीब से जानने लगी।
माँ तुमने जीवन में बहुत सी परेशानियों का भी सामना किया पर तुमने कभी हमें महसूस ही नहीं होने दिया। और हम तेरे अक्सर हल्की सी डांट से भी परेशान हो जाते थे।तेरे त्याग तेरे
समर्पण को कभी ये नन्हीं आँखें समझ ही ना पायी।
माँ आज भी जीवन के हर कदम पर जब भी तुझे पुकारती हूँ तुझे हर समय पास पाती हूँ।पर माँ तेरे प्यार को मैं तुझसा नहीं लौटा पाती। मुझमें इतना सामर्थ्य नहीं कि तेरे इस कर्ज को उतारने की सोच भी पाऊं।
माँ बहुत अच्छा लगता है ये देख कर कि मैं वहां नहीं हूँ पर तुझे बेटी के रूप में दो बहूएं मिल गई है जो मुझसे भी ज्यादा तुम्हारे और डैडी जी के लिए सोचती है ।ये हमारे घर के बहुमूल्य मोती है जिसे ईश्वर ने अमूल्य सौगात के रुप में बख्शा है।
माँ तेरे हाथ का बनाया लजीज खाना पल -पल याद करती हूँ
सरसों का साग, तंदूरी रोटी और पिन्नी ।अपने हाथों में वो मज़ा नहीं माँ।अब कोई यहां ससुराल में पल- पल तेरी तरह पीछे घूमने वाला नहीं । मैं बड़ी हो गई ना माँ। जाने क्यूं खुदा ने हर बेटी की तकदीर में विदा होना लिखा।
बहुत सारा प्यार।
तुम्हारी बेटी
एकता कोचर रेलन
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