रचना चोरी

कलम में वो ताकत होती है - ताकत को कम आंक नहीं सकते ।

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 22 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

रचना चोरी

अल्फाजों को समेट लेता है,

 ये मन भावों को पिरों लेता है।

 समझता है साथी सगा अपना-

 वरना इस दौर में कौन समझता है ।

माना सब कुछ ब्यां कर नहीं सकते ,

पर हर दर्द दिल में रख नहीं सकते ।

कलम में वो ताकत होती है -

 ताकत को कम आंक नहीं सकते ।

पर आज देखो न कौन सा दौर आया है ,

रचना चोरी का जमाना आया है।

जाने कैसे रचते वे साजिश -

जाने मन को कैसे चैन आया है।

भावों को गीतो में पिरों नहीं सकते,

 मेहनत के दम पर जो बढ़ नहीं सकते।

 जो टकटकी दूसरों पर लगाए हैं -

मेरा दावा है कि वह आगे बढ़ नहीं सकते।

एकता कोचर रेलन

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Ektakocharrelan

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