इबादत ईश की

इबादत ईश की हे वाहेगुरु जी आपके बारे में क्या लिखूं जब भी देखती हूं किसी को मुस्कुराते उसके रूप में तुम्हीं नज़र आते हो।

Originally published in hi
Reactions 0
629
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 28 Jun, 2020 | 1 min read

हे वाहेगुरु जी आपके बारे में क्या लिखूं जब भी देखती हूं किसी को मुस्कुराते उसके रूप में तुम्हीं नज़र आते हो।


देखती हूं अक्सर बच्चों को मस्ती में गुनगुनाते तो वहां भी तुम ही नज़र जाते हो। प्रकृति के हर रूप में हर जगह तुम्हारी दुआएं सर्वत्र और दिखती हैं।

कहते हैं ईश्वर आप सर्वत्र हूं हर जगह विद्यमान हो। मां भी कहती है कि प्रभु सब देख रहे हैं हमें बस अच्छे कर्म करने हैं पिता कहते हैं कि कर्म ही पूजा है और ईश्वर भी। आप बस अपनी तरफ से हर कार्य अच्छा करते चलो।

और ऐसा सच भी है जब भी अपने आस-पास फूलों में खुशबू देखती हूं माता- पिता के चेहरे पर अनवरत काम करते हुए भी चेहरे पर मुस्कान देखती हूं। लगता है तुम यही हो। यहीं कहीं हो।

पर तभी अचानक रूदण सुनती हूं किसी गरीब का, चित्कार सुनती हूं जब किसी अबला की और विश्व में जाने कितने लोगों को बिना कारण ही शहीद होते देखती हूं बस तभी लगता है हे ईश्वर तुम कहां हो??

तुम्हारा ह्रदय क्यों नहीं पसीजता तब!! और तब दुआ करती हूं ऐ मालिक संभाल लेना। दूर तलक जब रोशनी ना दिखे तो तुम ही निकाल लेना।

पर तभी अंतर्मन से ये आवाज आती है कि तुम तो मुझी में हो सर्वत्र हर पल मेरे साथ मेरा आत्मविश्वास बनकर

तेरी नूरानी नजर ने जादू ऐसा कदर कर दिया,

मैं तुझे देखती रहूं यूं जिंदगी को बदल दिया।

डगमगाएं न राह में कभी जिसने तुझको अपना बना लिया,

संपूर्ण जगत के तुम रखवारे हां!मुझको हो प्राणों से प्यारे।

एकता कोचर रेलन



0 likes

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.