बूढ़ी माँ

बस तेरे घर का एक कोना चाहती हूँ बूढ़ी माँ बोली लाल !मत भेजों वृद्धाश्रम, बस तेरे घर का इक कोना चाहती हूँ।

Originally published in hi
❤️ 0
💬 2
👁 1937
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 30 Aug, 2020 | 1 min read
Blessings Old parents Family Poetry blast Mother's love

बूढ़ीमाँ


बस तेरे घर का एक कोना चाहती हूँ


 बूढ़ी माँ बोली लाल !मत भेजों वृद्धाश्रम,

बस तेरे घर का इक कोना चाहती हूँ।


देखकर तुझको नैनों के झरोखों से,

बस हर पल खुश रहना चाहती हूँ।


दुख- सुख के अनुभव  तुझसे बाँटे हजार,

 कुम्लहाते होठो से माथे को चूम लेना चाहती हूँ।


ढलती उम्र  मेरी तुझ पर बोझ ना बनेगी,

मेरी निस्तेज आँखें बरबस न बरसेगी।


पाल पोष बड़ा किया तू मेरे दिल का टुकड़ा,

बस हर लम्हा तुझ संग जी लेना चाहती हूँ।


ज्यादा कुछ नहीं मांगती मैं तुमसे,

कुछ पल और बस संग रहना चाहती हूँ।


मेरी छांव में तेरे घर को अनुभव दे,

तेरे घर को सुखमय बनाना चाहती हूँ


बहु तुझको दुल्हन बनाकर लायी,

बेटी थी तुझे बेटी बनाकर लायी।


तुझको संवारा तुझको निखारा

मैं दिल में तेरी माँ जैसा कोना चाहती हूँ


तू चाहती होगी घर पर अधिकार,

मैं घर का बस एक छोटा सा कोना चाहती हूँ


बस कुछ लम्हें ही जी लेना चाहती हूँ,

वृद्धाश्रम नहीं तेरे घर का एक कोना चाहती हूँ।


एकता कोचर रेलन

0 likes

Support Ektakocharrelan

Please login to support the author.

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.