संस्मरण- स्टिकी टाँय
कुछ साल पहले की बात है जब मैं पूरे परिवार के साथ मंसूरी घूमने गई ।
मंसूरी का यहां सबसे मुख्य आकर्षण है केम्पटी फॉल्स ।
हमारे साथ मेरी भाभी भी थी हम केम्पटी फॉल्स लंबी-लंबी लाइनों में कुछ घंटों के अंतराल पर पहुंचे।
सीढ़ियों से उतरकर केम्पटी फॉल्स का रास्ता जाता था।रास्ते में बनी हुई एक तरफा छोटी-छोटी दुकानों के स्टॉल पर खरीदारी करने के लिए भीड़ जमा थी। मेरी छोटी बेटी वहां से स्टिकी टाँय लेना चाहती थी। पर हम उसे वापसी में लेकर देंगे ऐसा कहकर नीचे केम्पटी फॉल्स की तरफ चल पड़े।हमने केम्पटी फॉल्स पर बहते झरने का खूब आनंद लिया। पूरा दिन कैसे बीत गया पता ही ना चला। अब भूख लगनी स्वाभाविक थी ।सब के पेट में चूहे छलांगें लगा रहे थे। खाना खाने के बाद जब हम वापिस सीढ़ियों के रास्ते आ रहे थे तो यादगार लम्हे को संजोने के लिए भाभी ने कुछ की-रिंग बनवाने को कहा।मैं बड़ी बेटी और भाभी तीनों की-रिंग देखने लगे छोटी बेटी और पति वहां सामने बेंच पर बैठ गए। मेरी बिटिया पास बैठे एक बच्चे से खेलने लगी पतिदेव की ऑफिस से इमरजेंसी कॉल आ गई। हम की-रिंग लेकर जैसे ही मुड़े सामने देखा पति देव फोन पर बात कर रहे थे और बिटिया वहां नहीं थी। हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई हम सब मिलकर बिटिया को पुकारने लगे 5 मिनट हो गए थे पर वह नहीं मिली मेरे हाथ पैर ठंडे हो गए। मैं जोर -जोर से रोने लगी जैसे मेरा पूरा संसार शिथिल हो गया था पूरी दुनिया मुझे रंगीन सी नजर आ रही थी मेरी बच्ची मेरी आंखों के सामने नहीं थी। 15 मिनट हो गए और वह नहीं मिली।इधर-उधर सबसे पूछती जा रही थी और रो रही थी उधर मेरे पति ने अनाउंसमेंट करवाने के लिए चल पड़े। पता नहीं कब मिलेगी मेरी गुड़िया सब मुझे सांत्वना दे रहे थे।हम भी धीरे-धीरे एक-एक दुकान पर आगे जाते हुए पूछ रहे थे जैसे ही सड़क के दूसरी ओर मुड़े मुझे मेरी बेटी सामने से उछल- कूद करते हुए आती हुई दिखाई दी।झठ से उसे गोद में ले लिया और 10 मिनट तक बिना बोले उसे खुद से चिपकाए बैठी रही जान में जान आई तब उससे पूछा कि आप कहां गए थे बड़ी मासूमियत से बोली मम्मा स्टिकी टाँय फिश लेने गई थी।
वह दिन याद करते हैं तो आज भी मन सिहर उठता है
एकता कोचर रेलन
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