दो प्यार भरें शब्द हर औरत के दिल तक पंहुचते है।पति के दो मीठे बोल न जाने कितनी बड़ी से बड़ी थकान को मिटा देते हैं।
हमारी शिकन को भांप कर पतिदेव का छू कर हौले से कहना
...""थक गयी हो तुम क्या??..
पर जानती हो! बिखरी जुल्फों में खूबसूरत लगती हो..."
और सारी थकान पल भर में छू हो जाना...
उदास इन अँखियों की पढ़ ले जब वो भाषा,
फिर हौले से कहना---" आज माँ से बात नहीं की क्या" ???
और सारी उदासियों का उड़न छू हो जाना!!
पूरा दिन सबकी फरमाइश पूरी करते-करते,
" अपनी ख्वाईशों का ध्यान ना रहना"!!
और बड़े प्यार से उनका दो कप काफी बना लाना!!
हाय!! सब ख्वाईशों का काफूर हो जाना!
खाने में कभी नमक ज्यादा पड़ जाना या फिर बच्चों की मनपसंद चीज बनाने में ही दिन निकल जाना!!
और फिर उनका बड़े अपनेपन से कहना जो प्रेम से मिल जाए वह खा लेंगे हम तो!!
* अनायास ही हमारे मन की खुशी का फिर दुगना हो जाना....
अगले ही पल जाने कितने पकवान बना लाना ….
परिवार की नोकझोंक के बीच जरा सा हाथ पकड़ कर कहना ...मैं हूं ना!! तुम्हारे साथ !!..
यह सब छोटी- छोटी दिलकश अदाएं हैं जो हम औरतों के दिलों तक पहुंच जाती हैं। हम औरतें ज्यादा कुछ नहीं चाहती चाहती है तो बस प्यार !सम्मान !अपनापन!
और चंद लम्हें मीठे बोल के जब कोई अपना कह दे -
कैसी हो तुम?? आज का दिन कैसा रहा ??
सच छू जाता है दिल तक!!
हाँ दिल तक!!!!
खट्टे सफ़र को मीठा उसने बना दिया,ज
जबसे जीवन में साथी बनकर आ गया।
जीवन को मेरे इंद्रधनुष सा महका गया,
जेहन को मेरे जब से महबूब भा गया।
बहुत पथरीले घुमाव थे हर राह पर,
तुम संग हर सफ़र मखमली सा भा गया।
खट्टे मीठे इश्क को तुमने यूं सजा दिया,
प्रेम रंग की तुरपाई से खूबसूरत बना दिया।
संग हर खुशबू का सफ़र रास आ गया,
बांहों में तेरी सफर हर आसां बना लिया।
एकता कोचर रेलन
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