“उड़े चौपाल पर गुलाल”

रंग हरा,गुलाबी,नीला और पीला, सब मिलकर इन्द्रधनुष बन जाता l

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 17 Mar, 2021 | 1 min read
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“उड़े चौपाल पर गुलाल”

चुन लेते हम एक चौपाल,

वहाँ मचाते खूब धमाल

मिलकर सब गुलाल लगाते,

होता सबका बुरा सा हाल

भांग पकौड़े का स्वाद निराला,

सबका मुँह रंगीला- काला

हर तरफ होता हँसी ठहाका,

रंग देख काका छुप जाता

प्यार के रंग में भीग-भीग कर,

हर चेहरा खिलता जी जाता

विलय होता तब अहंकार का,

मुस्कानों से दिल भीग जाता

बैर-भाव से सब ऊपर उठते,

हर दिल दूजे को गले लगाता

होली में सब दुःख भूलकर,

दीन-दुखी मन भी हर्षाता  

गोरी ढूंढें साजन को अपने,

जोबन मन उसका इठलाता

देख सजनी को रूठा साजन,

पिचकारी की धार बनाता

रंग हरा,गुलाबी,नीला और पीला,

सब मिलकर इन्द्रधनुष बन जाता  

आओ रंगों से हम खेले होली,

होली एकता का पाठ पढ़ाता  

-एकता कोचर ‘रेलन’



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