हमराही

चल मेरे हमराही मिलकर सपनों को फिर बुन ले

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 16 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

विधा- पद्य

चल मेरे हमराही

मिलकर सपनों को फिर बुन ले। 

भुला दे दर्द सारे दिल के❤

चलो गम को कुछ कम कर ले

बिन कुछ, बिन कुछ सुनें

महसूस एक दूजे को कर ले

अंखियों के झरोखों से

चांद 🌙तक की उड़ान भर ले

हां तू पूर्व तो मैं पश्चिम

तू उत्तर तो मैं दक्षिण

चलो न अब दूरियां कुछ 

कम कर ले

 सृष्टि -कर्ता ने रच डाला जन्म भर का साथ हमारा

धरा से आसमां तक दूरी तय कर ले

चल मेरे हमराही

मिलकर सपनों को फिर बुन ले। 

एकता कोचर रेलन

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Ektakocharrelan

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