बिना शिव की कृपा के ,जीवन विष का प्याला है,
हो जाये जो उसकी रहमत तो हर और शिवाला है।
वो नँदीगण की सवारी! वो जग का रखवाला है,
उसकी सुंदर छवि ने हाँ देखो हर मन हर डाला है।
बारात ले चले शिव शम्भू पहने गले में मुंड माला है,
माँ गौरी देख व्याकुल कैसी ये लीला को रच डाला है।
जहां शिव वही शक्ति! हर्षित हो रहा मन ये डमरू वाला है
अर्धनारीश्वर का दिया संदेश झूमे जग हो रहा मतवाला है
एकता कहे नजारा ये अद्भुत आस्था बिना जीवन अधूरा है,
कृपा बरस रही भोले की अमृतरस चख तृप्त मन होने वाला है।
एकता कोचर रेलन
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