उठती हूँ जब भी
पड़े होते घर के काम
मुझे पुकारने लगते
घर में दिन भर के काम
ठान कर कमर सोचती हूँ
जल्दी से कर लूं सारे काम
फिर करूँ कुछ आराम
दूध वाला डोर बेैल बजाता
सब्जी वाला आवाज़ लगाता
बाई कहे जल्दी से बर्तन
खाली करो भाई
सबको बोले आई- आई
अभी आई
ठान कर कमर सोचती हूं
जल्दी से कर लूं सारे काम
झठ निपटाती हूं सारे काम
इतने में बच्चें स्कूल जा कर भी वापिस आ जाते है
मम्मा-मम्मा आवाज लगाते है
थकती हूं पर फ्रेश हो जाती हूं
जैसे ही सुनती हूं उनकी पुकार
खाना खिला, होमवर्क करा कुछ मस्ती करना चाहते है
मम्मा क्या करते रहे थे आप दिन भर
ऐसा अक्सर फरमाते
तुम खेलों बच्चों, रात के मैं
निपटा लूं काम
पापा भी आने वाले है
अभी नहीं पूरे कर सकती
तुम्हारे फरमान
जल्दी नही सोए तो कैसे होगे कल के काम
ठान कर कमर सोचती हूँ
जल्दी से कर लूं सारे काम
एकता कोचर रेलन हरियाणा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह
Sach me yahi sab kam chalte rahte hai
Thanku narmata ji
Yesss vinita ji thanku 🌺
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