ऐ किसान तुझे कोटि नमन
लाचारी!बेबसी! मजबूरी!
जाने कितने तमके लगाता है।
खून , पसीना बहा कर के-
तन्मयता से खुद को लुटाता है।
भीषण गर्मी में भी खुद को झुलसाता है,
ये किसान ही है सबके काम आता है।
हौसले अटल,श्रम ही इसका कर्म,
ऐ किसान तुझे कोटि-कोटि नमन।
दो जून की सबकी रोटी की खातिर,
ये अपना सर्वस्व लुटाता है।
मुफ़लिसी के शिकन्जे में कराहता,
हाथों के खुरदरेपन से न सकुचाता है।
हौसले अटल,श्रम ही इसका कर्म,
ऐ किसान तुझे कोटि-कोटि नमन।
आसान सबकी हर राह बनाता,
अधूरे सपने लेकर सब सह जाता।
करता रहता जीवन से वो जंग।
जाने कब चमके उसके जीवन के रंग!!
हौसले अटल,श्रम ही इसका कर्म,
ऐ किसान तुझे कोटि-कोटि नमन।
जिसके सुंदर हाथों ने धरा को तराशा है,
आहुति दे अपनी चंदन सा महकाया है।
सुस्त हो गई सरकारी व्यवस्था सब-
सरकार से भी तो मुट्ठी भर हो पाया है।
हे ईश! अब तुम पुकार सुनो -
अपने श्रम से बदले जो सबका लेख!
अब कल्याण करो!! कौई चमत्कार करों!!
अब और ना इनका उपहास करों!!
एकता कोचर रेलन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.