बेटियां हैं समाज की आशा
नन्ही सी गुड़िया ढेरों आशाएं,
ये बाल मजदूरी तुम्हें ना भाएं।
उड़ो उधर जिधर भी मन चाहे-
चलो सपनों में रंग भर दिखलाएं!!
मंजिल तुम्हारी है आगे बढना ,
खूब पढ़ना और आगे निकलना।
पोंछ लो आँसू अब ये अपने-
सच करने है अपने सब सपने!!
पंख लगा अब उड़ दिखलाओ,
लग्न से पढ़ो फिर नभ छू जाओ।
देखो भरो ना खुद में निराशा-
बेटियां हैं समाज की आशा!!
बेटा,बेटी सब एक ही समान,
अब ना कोई है अलग स्थान।
सपनों में बस रंग भर दिखलाओ-
सुनो ऐ गुड़िया! तुम चीर दो निराशा!!
एकता कोचर रेलन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सुंदर
प्रेरणादायक कविता
शुक्रिया विनीता जी
संदीप अभिनन्दन आपका 🙏🌺
Well penned
Thanku sonia ji
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