ये कैसे संस्कार

ये कैसे संस्कार

Originally published in hi
Reactions 0
442
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 25 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems

जब -जब की बच्चों ने फरियाद,

 ना नुकुर कहाँ कर पाते हैं हम जनाब।


ख्वाइश हरदम यही पढ़ो तुम बच्चों,

 रोशन करो बस माँ- बाप का नाम।


हैसियत से ज़्यादा उन्हें परोसने लगे,

हर माँग के आगे पर्दा भी ओटने लगे।


शाँति की चाह में हर चीज यहाँ अलग थी,

भाई -बहन को शेयरिंग की आदत नहीं थी।


बुजुर्गों का मान हम उन्हें सिंखला नहीं पाये,

बराबरी के चक्कर में  घरोंदें से दूर घर बनाये।


मिल बांटकर एक प्लेट में  खाना भूल रहे थे,

घरों में बिल्कुल जुदा नये अंदाज बुन रहे थे।


संयुक्त परिवार तो  बीते वक्त की बात लग रही थी,

दादी-नानी की कहानियां डिजिटल हो रही थी।


 शिकवा या अपनेपन की बात कैसे करें हम,

वृद्धाश्रम में वृद्धों की जगह खुद बनाने लगे हम ।


एकता कोचर रेलन

0 likes

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.