प्यारी दोस्त,
भूले कैसे वो याराना,
खुशी -गम का तराना।
रोज घंटों छत पर बिताना,
तुम बिन मेरी शाम न थी।
जाने कितनी बातें करती है,
बतियाते -बतियाते ना थकती।
हंसते-हंसते बल पढ़ते यारा ,
जीने का था अनोखा तराना ।
तुम बिन मेरी शाम न थी,
अब हम थोड़े उलझ गए।
अपने घरों में हाँ जकड़ गए,
जन्मदिन पर बचपन याद आता है ।
हर पल तुम संग मुस्काना हां !सब याद आता है ,
वो पल थे बड़े सुहाने हां! सब याद आता है।
एकता कोचर रेलन
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