सज गए तेरे दरबार माँ,
तेरी हो रही जय-जयकार माँ।
राहों में बैठी पलकें बिछाएं-
कब आओगी मेरे द्वार माँ।
नन्हे पैरों से माँ जब आएंगी,
हर घर में खुशियाँ छा जाएंगी।
भीगी अँखियों से चरण लूंगी पखार माँ-
तुझको मेरा वंदन बार-बार माँ।
सुंदर चुनरी माँ तेरी बनाई है,
गोटा और किनारी से सजाई है ।
माँ जब ओढ़ोगी एक बार हाँ-
छवि निहारुगी बार-बार माँ।
माँ तेरे दर्शन से नैन तृप्त हो जायेंगें,
प्रफुल्लित होंगे हम और पावन हो जायेंगे।
भोग सब प्रसाद और अमृत बन जाएंगे
माँ!दर्शन देना बार-बार सज गए तेरे दरबार माँ
एकता कोचर रेलन
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