ख़त

प्रेम रंग की स्याही में भीग, ख़त लिखने को जी चाहता है।

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 07 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

आज फिर से -

तेरा हो जाने को जी चाहता है!!

प्रेम रंग की स्याही में भीग,

 ख़त लिखने को जी चाहता है।

लिख दूं कि कैसे बीता हर लम्हा,

फिर तेरा होने को जी चाहता है!!

भर ले आकर फिर बांहों में हमको,

मीठे खट्टे हर सफ़र को ,

लिखने का जी चाहता है!!

तुझसे जुड़ी हर खबर को,

 कहने का जी चाहता है!!

समेट रही हर जज्बात ख़त में,

आज सब कहने को जी चाहता है!!

एकता कोचर रेलन

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Ektakocharrelan

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