बबीता की छोटी बिटिया बहुत शरारती है । उसे पढ़ाने के लिए उसे बहुत मशक्कत करनी पड़ती है । साथ ही वह शांत भी इतनी है कि कितना भी गुस्सा कर ले "ओ के मम्मा" कह कर दिल जीत लेती है ।
बस उसको सैल्फ स्टडी की आदत नहीं है।एक दिन बबीता ने उसे जानबूझ कर गुस्सा किया।कि आप नहीं पढ़ते तो हम आपको होस्टल भेज रहे हैं। और बबीता ने उसका बैग पैक करना शुरू कर दिया। जिसमें सब उसकी जरूरत की चीजें रख दी।
धीरे-धीरे उसे जब यकीं होने लगा तो वो रोने लगी और घर पर सब अपनी हंसी को दबाते पैंकिग करते रहे।सबको लगा शायद वो महसूस करें।
बिटिया को पहले ही बोल दिया गया था सॉरी मत बोलना आज हम सब कुछ नहीं मानने वाले।
धीरे-धीरे जब उसे यकीं हो गया कि अब तो कौई ऑप्शन नहीं है तो उसने प्यार से गले लगा कर बबीता को बोला अच्छा मम्मा मुझे ना फिर गर्ल्स हॉस्टल भेजना क्यूंकि फिर गर्ल्स को मेरे जैसी गेम पसंद होगी इसलिए।
उसकी मासूमियत देखकर सब बहुत जोर से हंसने लगे। और गुड़िया रोने।कि उसे सबको छोड़कर कहीं नहीं जाना।
पर बबीता को अब अहसास हुआ कि अगर स्कूल भेजने के पहले दिन से ही उसने अपनी बिटिया का पढ़ने का समय निश्चित किया होता व भरपूर समय दिया होता तो आज ये समस्या ना आती।
दोस्तों बच्चों की मासूम बातें हम सब का दिल जीत लेती हैं।पर वह एक उम्र सीमा तक ही अच्छी लगती हैं ।अगर हम बच्चों की दिनचर्या को समय के अनुसार निश्चित कर दे और शुरू से ही उसमें सद्गुणों को भरें तो बात- बात पर हम बच्चों को डराने या धमकाने से भी दूर रख सकते हैं ।
चिकनी मिट्टी सा कोमल है ये बचपन,
जैसा देना चाहते वैसा आकार दें।
समय ये भरपूर माँगता तुमसे-
खुद को भूल उसे ये उपहार दें।
स्वर्णिम सा लहलहायेगा वो इक दिन,
बचपन से ही उसे हर समझ व ज्ञान दें।
अपने लाड़ -प्यार में बेशक सींचें उसे-
पर ऐसा ना हो कि उसकी आदतें बिगाड़ दें।।
एकता कोचर रेलन
आप अपने बच्चों की दिनचर्या ,पढ़ाई वह सद्गुणों के लिए
क्या बेहतर कदम उठाती है कमेन्ट सैक्शन में जरूर बताएं 🙏💐
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