गुरु

हमारी नादानियों को बेहतर समझते हैं , पिता, माता, दोस्त कभी गुरु बनते हैं ।

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 30 Nov, 2020 | 1 min read
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हमारी नादानियों को बेहतर समझते हैं ,

पिता, माता, दोस्त कभी गुरु बनते हैं ।

अपने हर सुख का करके त्याग-

हाँ! मार्गदर्शक बनते हैं ।

रखकर दूरदृष्टि भविष्य को संवार देते हैं,

हम से भी ज्यादा हमारी पहचान रखते हैं।

 हमारे बेहतर कल की खातिर ही-

 गढकर हमें हमारे कुंभकार बनते हैं ।

उनके जैसे ना दुनिया में हमदर्द पाते हैं,

आड़े-तिरछे अक्षर को सीधा सिखाते हैं।

अंधेरे में भी दिखाते प्रकाश-

गुरु वह दिव्य ज्योति जो जड़ को चेतन बनाते हैं

 नमन ऐसे गुरुओं को जो ईश बन जाते हैं

बदल कर लकीरें सच्चे मीत बन जाते हैं।

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