ऑलराउंडर
"हर चीज में परफेक्शन चाहिए बिना परफेक्शन के इंसान पीछे रह जाता है।" सुधा जी ने अपनी बिटिया को कहा।
देखो ना तुम्हें डांस ,म्यूजिक, पढ़ाई सभी में निपुण बनना है ।अब जल्दी करो! जल्दी तैयार हो! देर मत करो! माँ बिटिया पर चिल्लाई!!
बिटिया-अभी तो इंग्लिश स्पीकिंग क्लास से आई हूँ थक गई हूँ ना !!मुझे आज डांस क्लास में नहीं जाना !!!!
नहीं बेटा !!जल्दी करो !!" यदि समय पर काम नहीं करोगी तो पीछे रह जाओगी "माँ ने कहा।
बिटिया ने झल्ला कर कहा ठीक है माँ! पर मुझे भूख लगी है ।
माँ ने दिलासा देते हुए कहा " पता है बेटा"!
मैंने आपके फ्रूट बॉक्स में पहले ही दो सेब रख दिए हैं ।पीछे स्कूटी पर बैठे-बैठे खाते रहना!!
पर माँ!!ऐसे भी खाया जाता है क्या????
मुझे आराम से बैठकर खाना है!!
नहीं बच्चे समय नहीं है जल्दी करो ।
बिटियां ठीक है कह कर स्कूटी के पीछे बैठ जाती है बेमन से थोड़ा सा फ्रूट खा लेती है और कुछ छोड़ देती है!!
एक घंटे बाद जब माँ बिटिया को लेने नयी उमंगों के साथ लेने पहुंची साथ ही एक स्टफ परोंठा हाथ में थमा दिया कयूंकि उसे अब योगा क्लास जो जाना था!!
मुझे नहीं जाना माँ !!!ऊऊऊऊ!!
अरे !!दिन प्रतिदिन तुम्हारे चिडचिडे होने के कारण ही ये क्लास रखी है माँ ने चिल्ला कर कहा!!
कुछ दिनों के बाद बिटिया के सिराहने बैठ कर माँ सिर पर पट्टी रख रही थी।पर बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा था। बिटिया को रह -रह कर तेज सिर और पेट दर्द हो रहा था बिटिया की चीखें माँ की जान ले रही थी।माँ को बिटिया के चेहरे में अलग-अलग रूप नजर आ रहे थे जिसमें कभी वह डाक्टर, स्कॉलर,गायक,डांसर सब थी। लग रहा था !!मानों हर चेहरा चिल्ला कर उससे उसकी बच्ची की खुशियां मांग रहा हो!!
उन चेहरों में एक मासूम चेहरा ऐसा भी कहता नज़र आया जो हमेशा यही कहां करता था कि माँ मुझे बस पन्नों पर रंग बिखेरना सुकून देता हैं
ममतामयी आँखें भीग गयी ये सोच जब बिटिया अक्सर कहती माँ मैं एक दिन तुम्हारी प्यारी तस्वीर बनाऊंगी।
भगवान से बस माँ आज अपनी बच्ची की सलामती की फरियाद कर रही थी।
अब माँ को केवल अपनी बच्ची चाहिए थी । ऑलराउंडर नहीं!!!!
एकता कोचर रेलन
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