कुछ अपने लिए

मोह के धागों से बंधी हुई फुलवारी हूँ

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 22 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

कुछ अपने लिए

मोह के धागों से बंधी हुई फुलवारी हूँ

मैं हर दिल से जुड़ी सब की प्यारी हूँ

राग द्वेष ना भाता मैं स्नेह की पिचकारी हूँ,

सबके सुख की कामना करूँ ऐसी नारी हूँ।

खट्टे- मीठे पलों में भी ना मैं हारती हिम्मत हूँ,

ईश में रखती अटूट आस्था दुःखो पर भारी हूँ।

जीवन सुखमय परिवार संग महसूस करती हूँ,

 घर के कैनवस पर खुशियां उकेर संवारती हूँ।

हैरान होते अक्सर सब धैर्य कहाँ से लाती हूँ,

कैसे बिखेर खुशियाँ मैं यूँ मुस्करा पाती हूँ।

मन में अथाह सागर संग हिलोरें लेती हूँ,

पर अपनेपन में जाने कैसे सब संजों जाती हूँ।

अल्फ़ाज़ पन्नों पर उरेक सब ब्याँ कर देती हूँ,

समझो" एकता"बस है मोहब्बत वहीं कुर्बा करती हूँ।

एकता कोचर रेलन

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