ऐ सखी ,चलो आज खुद से खुद को मिला दे ।
खुद से खुद का पूछ ले हाल।
थोड़ा इतरा ले ,थोड़ा गुनगुना ले।
जी ले जरा !थोड़ा गुदगुदा ले।
ऐ सखी, चलो आज खुद से खुद को मिला दे।
हरदम फिक्र मंद रहे बच्चों आज क्या खाओगे,
पतिदेव शाम को लौट घर कब आओगे?
आज अपने अधरों पर एक नई मुस्कान सजा दे!
ऐ सखी ,चलो आज खुद से खुद को मिला दे।
सफेदी बालों में आने लगी तो क्या? थोड़ी उम्र बीत गई तो क्या?
चलो आज खुद को थोड़ा रिझा ले ,
ऐ सखी, चलो आज खुद से खुद को मिला दे।
दर्पण में खुद को ले निहार ,
प्रेम कर खुद से सुनो अंतर्मन की पुकार।
आज खुद की खुद से थोड़ा गुफ्तगू करा दे ।
ऐ सखी ,आज खुद से खुद को मिला दे।
देखो मन में ना कुछ रखो आज कोई बात,
आज खुल कर जी लो जज्बात ।
सखियों संग थोड़ा बतिया लो ,
कुछ उनकी सुना कुछ अपनी सुना दो।
आज अपनी अंखियों में एक नई उड़ान भर दो,
ऐ सखी, आज खुद से खुद को मिला दो।
आज भूल जाओ पलभर जिम्मेदारियों को ,
आजाद कर दो थोड़ा परेशानियों को। परवाह करो जरा पल भर थोड़ी खुद की ,
हंस लो मुस्कुरा लो जरा प्रेम खुद से बे- इंतहा करो।
ऐ सखी ,आज खुद से खुद को मिला दो।
तुम संग हंसती हूं तो भूल जाती हूं हर परेशानियों को ,
अपनी उम्र को अपनी जिम्मेवारियों को।
मचल रहा मन बच्चे जैसा आज खुद से प्यार करे,
सुनकर आवाज मन की-
ऐ सखी ,चलो आज खुद से खुद को मिला दे ।
पूछ ले हाल जरा खुद का ,
ऐ सखी ,आज थोड़ा मुस्कुरा दे!!!!
एकता कोचर रेलन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very nice
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