मोहब्बत बिखराने आई हूँ
मुसाफिर इश्क की हूँ यारों बिजलियां गिराने आई हूँ
ज़रा संभल कर बैठो तुम मोहब्बत बिखराने आई हूँ
है मेरे नूर में वो जलवां धड़काने हर दिल को आई हूँ
समेट लो दिल से नफरतें हर दिल पिघलाने आई हूँ
गागर में भरकर इत्र मैं आज सबको महकाने आई हूँ
शूल भले ही हो राह में किरदार अलग निभाने आई हूँ
यकीं खुद पर है बहुत होश सबके गंवाने आई हूँ
जुल्फों से छिड़क एहसास सर्वत्र सजाने आई हूँ
दुआएं मेरी ना होगी बेअसर हर ग़म मिटाने आई हूँ
इश्क भर हर आंगन को तुलसी सा महकाने आई हूँ
एकता कोचर रेलन
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