पत्र

तुम्हारी खुशबू में रचे बसे पत्र कहो तो फिर से पढ़ दूं मैं

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 07 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

तुम्हारी खुशबू में रचे बसे पत्र

कहो तो फिर से पढ़ दूं मैं

कुछ तुम महसूस करो कुछ समझूं मैं

ऐ दिलबर तुम रूठों न इस कदर 

कहो तो बांहों में फिर भर लूं मैं

कुछ मजबूरियां कुछ वक्त की इनायत

कहो तो माथे से ये शिकन दूर कर दूं मैं

हर पत्र में छिपी है ढेरों मोहब्बत हमारी

आओ फिर से बैठे इक दूजे संग

पत्र की खुशबू में फिर से रंग भर दूं मैं

एकता कोचर रेलन

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Ektakocharrelan

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