भूख

असहाय कितने ही बच्चे भीख मांगते दर -बदर

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Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 16 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

शीर्षक-भूख

असहाय कितने ही बच्चे

भीख मांगते दर -बदर

भूख से अकुलाते है

फुटपाथ पर ही सो जाते है

मैने देखा फिर एक मासूम को

 व्याकुलता भरी निगाहों से

शीशे से वो झांक रही थी

रह- रह कर मेरे हृदय को

अंदर तक झिंझोड़ रही थी

कब पेट भरे ये आस नहीं थी 

हिम्मत जीवन से हार चुकी थी

 न जाने कितने बच्चे "क्षुधा पीड़ित"

जो हर दिन अपराधी बन जाते है

पेट की खातिर मजबूर हो जाते

भूख की अग्नि से छटपटाते है

मैने उसको पास बुलाया

पेट भर खाना खिलाया

संवारने को उसका जीवन

 बाल सुधार में प्रवेश करवाया

पर ऐसे कितने हजारों बच्चे

 बिना खाए ही राह में सो जाते है

न जाने क्यूं हम अपनी थाली में 

जूठन हर दिन बहुत बचाते है

आओ सब मिलकर ये करे प्रण

समाज के लिए हम उठायेगें नेक कदम

एकता कोचर रेलन

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