गाँव की मुहब्बत

गाँव की मुहब्बत की खुशबू ढूंढता हूँ

Originally published in hi
Reactions 0
408
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 12 Feb, 2021 | 1 min read
#1000 poems

गाँव की मुहब्बत की झिलमिल  ढूंढता हूँ,

शहरों की गलियों में #खुश-दिल ढूँढता हूँ।

छतों पर वो सोना वो तारों का गिनना ,

हाँ !यहाँ ऐसी कोई #महफिल ढूँढता हूँ।

भीनी सी वो ब्यार वो अपनों का प्यार ,

झिलमिल रोशनी में #जिंदा-दिल ढूँढता हूँ।

संग बड़ों के रहना वो कुछ ना कहना, 

अब हर आँख में यहां #मोम दिल ढूँढता हूँ।

"एकता "दिया ले कर चल दूर तक तू,

पहली सी इबादत लिए वो #दरिया-दिल ढूँढता हूँ।

एकता कोचर रेलन

0 likes

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.