गाँव की मुहब्बत की झिलमिल ढूंढता हूँ,
शहरों की गलियों में #खुश-दिल ढूँढता हूँ।
छतों पर वो सोना वो तारों का गिनना ,
हाँ !यहाँ ऐसी कोई #महफिल ढूँढता हूँ।
भीनी सी वो ब्यार वो अपनों का प्यार ,
झिलमिल रोशनी में #जिंदा-दिल ढूँढता हूँ।
संग बड़ों के रहना वो कुछ ना कहना,
अब हर आँख में यहां #मोम दिल ढूँढता हूँ।
"एकता "दिया ले कर चल दूर तक तू,
पहली सी इबादत लिए वो #दरिया-दिल ढूँढता हूँ।
एकता कोचर रेलन
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