अपनी अपनी खुशी

दोस्तों खुशियों की   कोई सीमा नहीं होती। ये हमें न केवल हिम्मत देती है बल्कि आगे बढने की प्रेरणा भी।और जीने की उम्मीद भी। मेरी कहानी का शीर्षक है अपनी- अपनी खुशी

Originally published in hi
Reactions 0
671
Ektakocharrelan
Ektakocharrelan 27 Jun, 2020 | 1 min read

अपनी अपनी खुशी

सोहन तुम कल से स्कूल मत आना। अगर तुम परीक्षा में बैठना चाहते हो तो पहले फीस जमा करवा के ही परीक्षा में बैठ पाओगे। 

सोहन घर आकर पूरा दिन रोता रहा । आज उसने न खाना खाया न किसी से ज्यादा बात की। छोटा भाई बीमार था जिसके चलते जो भी माँ-बाप मजदूरी से कमाते सब दवाओं पर खर्च हो रहा था और माँ -बाप फीस नहीं भर पा रहे थे।बड़े ने तो पहले ही पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था । सोहन बहुत होशियार था 

  बचपन से ही उसे किताबों से प्यार था उसकी उम्र के बच्चे बाहर खेलते थे। पर उसे कुछ बनने की चाह थी और अक्सर बड़ा बनने का ख्वाब देखता था जैसे -तैसे उसके माता - पिता फीस भरकर पढ़ा रहे थे। सोहन अगले दिन सुबह उठा तो पता चला वायरस के फैलने की वजह से सभी स्कूलों की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थी। कल ही सोहन के स्कूल में घोषणा हुई थी कि पूरे नंबर लाने वालों की फीस माफ़ कर दी जाएगी। सोहन बहुत खुश हुआ कि मैं मेहनत करूंगा और पूरे नंबर लाऊँगा। फिर वह अपने माता -पिता के साथ बैठ कर पढ़ने लगा ताकि अगले साल की फ़ीस माफ़ हो सके। माँ खुश थी कि मैं छोटू का कुछ दिन ध्यान रख पाऊँगी । क्योंकि सफाई करने वाली औरतों का सोसाइटी में जाना मना हो गया था। मालकिन ने बोला भी था कि कुछ दिन काम पर आने से ज़रूरी अपना व अपने परिवार की सफाई का ध्यान रखना था। पिता और भाई खुश थे कि उन्हें तो कुछ दिन तक दवाई छिड़काव में जाना है तो कुछ पैसे ज्यादा इकठ्ठे हो जाएंगे। सबकी अपनी- अपनी खुशी थी।

सच में दोस्तों खुशियों की  कोई सीमा नहीं होती। ये हमें न केवल हिम्मत देती है बल्कि आगे बढने की प्रेरणा भी।और जीने की उम्मीद भी। बताइयेगा जरूर कैसी लगी मेरी कहानी। 

एकता कोचर रेलन


0 likes

Published By

Ektakocharrelan

ektakocharrelanyw9l4

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.