बाल गीत
बच्चों के मुख से
मां तुम मुझको एक बात बतला दो,
खुश रहूं मैं कैसे यह सिखला दो।
खेलूं मैं तो तुम आंख दिखाओ,
बस करो बच्चों झठ किताबें थमाओं।
पढ़ती रहूं तो तुम चिल्लाओं,
थोड़ा घूम लूं तो मुंह पिचकाओं।
जाने कैसी हो तुम जान ना पाऊं,
कभी खट्टी- कभी कड़वी बन जाओं।
कभी कहती हो थोड़ा मुंह खोलो,
कभी कहती हो कुछ तो बोलो।
सच- झूठ का चक्कर समझ ना पाऊं,
चक्कर खाऊं क्या बोलूं क्या ना बोलूं।
पर माँ तुमको एक बात मैं बोलूं-
मुझको ना कोई तराजू में तोलो।
कम ज्यादा मैं समझ ना पाऊंगी ,
जैसा चाहो वैसा बन जाऊंगी।
एकता कोचर रेलन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह 👌बहुत बढ़िया
शुक्रिया एकता
वाह वाह
Very nicely expressed
शुक्रिया मंजु जैन🌺🙏
शुक्रिया इंदु जी आभार आपका 🙏🌺
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