माँ
तुम ही मेरी ज्ञान का सागर
तू ही माँ शिक्षा काआधार
हर अक्षर माँ तुमसे जाना
मैं अज्ञानी, मूढ़ थी मैं
अथाह सागर को तुमसे पहचाना
मेरे सुख -दुःख की साथी
पथ प्रदर्शक तू ही माँ
अच्छा करूं तो हौसला बड़ाती
भटकूँ मैं तो राह दिखाती
तेरे प्यार को थोड़ा समझूँ
तुमसी सीख न मुझमें माँ
संस्कार मेरे तेरी परछाई
सारे जहाँ मे ना तुमसा माँ
एकता कोचर रेलन( हरियाणा)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.