भाईजी भाईजी देखो मऽनऽ तुम्हाला लेणऽ काई बणायो?
सुनील खेत मऽ सी आई नऽ नऽ बठ्योज थो, न ओका छोरा नऽ ओखऽ वटला का दगड़ा न प कोयला,गेरू न चूना सी करेल कलाकारी बताई।
सुनील देखणऽ लग्यो।
एक बाळक का हाथ मऽ देवकटासळ्या सरी को फूल बणेल थो नऽ धवळो पैजामो कुर्तो पेरेल एक आदमी सरिको बणेल थो।
"भाईजी ई तुम छे न ई हाऊं छे।
आज भाईजी नऽ को दिन छे।असो म्हारी मास्टरनी नऽ बतायो।"
सुनील का जीव ख खोब अच्छो लग्यो कि ओनऽ छोरा खऽ भणनऽ भेज्यो तो अच्छी अच्छी वात नऽ सीखी रह्योज।
उ सोचणऽ लगी गयो कि हमखऽ तो मालूम न्नी थो कि ई भाईजी नऽ को दिन काई होएज।
"मरिगा नऽ वटलो भंडई नऽ नऽ धरी दियो एकी तो हंऊ मजा बताऊंगा थोबिजा जरा।"
खर्राटा की भायरी न पाणी को बाल्टो लई नऽ नऽ ओकी माय दवड़ती आई रई थी।
सुनील न ओखऽ संतरा की गोळई दई नऽ नऽ कयो कि -
" भाग रे पोरया थारी माय आई रईज तुखऽ कूटऽगा।"
"हैप्पी फादर डे" कई नऽ नऽ पोर्यो भागी गो।
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