ज़िंदा ज़ख़्म

ज़िंदा ज़ख़्म , एक प्रेमी की टीस बयां कर रही है

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Dr.Wasif Quazi
Dr.Wasif Quazi 13 Jul, 2022 | 1 min read

शीर्षक - " ज़िंदा ज़ख़्म "


भूलकर भी कैसे भूलाऊँ तुमको ।

ज़ख़्म ये... कैसे दिखाऊँ तुमको ।।


रूठकर बैठे हो.. मेरी जाँ मुझसे ।

तुम बताओ कैसे मनाऊँ तुमको ।।


मेरी रूह में....... घर कर गये हो ।

वजूद से अपने कैसे हटाऊँ तुमको ।।


बहुत ऐहतियात से तोड़ा दिल को मेरे ।

अब कौनसे खिलौने से रिझाऊँ तुमको ।।


करके बेवफ़ाई इश्क़ में सताया " काज़ी " ।

अब कौनसे रिश्ते से....... सताऊँ तुमको ।।


©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी 

©काज़ीकीक़लम


28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इक़बाल कालोनी ,

इंदौर ,मध्यप्रदेश

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Dr.Wasif Quazi

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