इश्क़ में बिछड़ने का ग़म खाये हैं ।
हम सहरा में प्यास के सताये हैं ।।
अंधेरे में खो गई थी हमारी राहें ।
हम फ़िर हथेली पर जुगनू लाये हैं ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ,इंदौर
©काज़ीकीक़लम
इश्क़ में बिछड़ने का ग़म खाये हैं ।
हम सहरा में प्यास के सताये हैं ।।
अंधेरे में खो गई थी हमारी राहें ।
हम फ़िर हथेली पर जुगनू लाये हैं ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ,इंदौर
©काज़ीकीक़लम
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.