चंद अश'आर 🌺
--- " हक़ीक़तनामा "---
कैसा दुनियादारी का बाज़ार सजा कर रक्खा है ।
मौत का , गरीब की मज़ाक बना कर रक्खा है ।।
जो रहा करते थे....... ख़्वाबों की अंजुमन में ।
उन्हें हक़ीक़त का आईना दिखा कर रक्खा है ।।
हम मरीज़ ए इश्क़ हैं , .....ये अब पता चला है ।
हमने हक़ीमों को भी घर पर बुला कर रक्खा है ।।
उनको मिले ख़ुशियाँ , ......चैन ओ सुकूं जहाँ में ।
इसलिये ग़मों को अपने अब तक सुला कर रक्खा है ।।
"काज़ी " उनकी मुस्कान बहुत महंगी है इसलिये ।
उन्होंने तबस्सुम को भी लबों पर दबा कर रक्खा है ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , "काज़ीकीक़लम "
28/3/2 , इकबाल कालोनी , इंदौर
जिला -इंदौर , मध्यप्रदेश
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.